
केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 में सालाना 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया है। हालांकि, यह छूट सिर्फ नए टैक्स सिस्टम का इस्तेमाल करने वालों को ही मिलेगी। इस तरह सरकार ने नए टैक्स सिस्टम को और आकर्षक बना दिया है।
पुराने टैक्स सिस्टम से होगी ज्यादा बचत
हालांकि, अगर दोनों टैक्स सिस्टम की तुलना करें तो पुराने टैक्स सिस्टम से 13 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वालों को टैक्स में ज्यादा बचत हो सकती है। हालांकि, इसके लिए टैक्स छूट के लिए उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करना होगा।
नए और पुराने सिस्टम में टैक्स की बचत
उदाहरण से समझें टैक्स बचाने का पूरा खेल
- आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि पुराने टैक्स सिस्टम में किसे कम टैक्स देना होगा। मान लेते हैं कि महेन खन्ना की सालाना आय 13 लाख रुपये है।
- अगर वह नई टैक्स व्यवस्था को चुनते हैं तो उन्हें नए टैक्स स्लैब के हिसाब से 15 फीसदी यानी 75,000 रुपये टैक्स देना होगा क्योंकि नई व्यवस्था में टैक्स छूट का दावा करने का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
- अगर महेन खन्ना पुरानी व्यवस्था को चुनते हैं तो उन्हें सिर्फ 4,250 रुपये टैक्स के तौर पर देने होंगे। इसकी गणना बेहद सरल है। अगर महेन खन्ना पुरानी व्यवस्था में उपलब्ध सभी टैक्स छूट विकल्पों का इस्तेमाल करते हैं तो 50,000 स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़कर उनकी टैक्सेबल इनकम से 5.75 लाख रुपये कम हो जाएंगे।
- महेन खन्ना का HRA 3.9 लाख रुपये है। HRA पर टैक्स छूट के साथ ही उनकी टैक्सेबल इनकम से 3.9 लाख रुपये और कम हो गए हैं। अब महेन खन्ना की टैक्सेबल इनकम सिर्फ 3.35 लाख रुपये रह गई है।
- पुरानी टैक्स व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स शून्य है। इस तरह उनकी टैक्सेबल इनकम सिर्फ 85 हजार रुपये रह गई है। पुरानी व्यवस्था के टैक्स स्लैब में 2.5-5 लाख की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है।
- इस तरह उन्हें 85,000 रुपये पर 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा यानी सिर्फ 4,250 रुपये। इस तरह महेन खन्ना नई व्यवस्था की जगह पुरानी व्यवस्था चुनकर 70,750 रुपये बचा सकते हैं।