सेक्टर-50 में ‘बागबान’ कार्यक्रम की शानदार सफलता के मौके पर आयोजित एक दिवाली मिलन समारोह में डॉ. बबीता शर्मा ने अपने संगीत और समाजसेवा के अनूठे सफर को साझा किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “संगीत मेरे लिए साधना है, प्रसिद्धि नहीं।”
डॉ. शर्मा ने बताया कि अलवर में जन्मी और भक्ति संगीत की परंपरा में पली-बढ़ी उनकी संगीत यात्रा विवाह के बाद कुछ समय के लिए रुक सी गई थी। लेकिन अपने बेटे उत्कर्ष के एक सवाल, “माँ, आपका स्वर इतना मधुर है, आपने संगीत क्यों छोड़ दिया?” ने उनके अंदर छुपे कलाकार को फिर से जगा दिया।
नोएडा आकर उन्होंने सेक्टर-19 के सनातन धर्म मंदिर से अपनी संगीत साधना फिर से शुरू की और आज वह नोएडा और दिल्ला में भक्ति संगीत की एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं।
संगीत बना समाजसेवा का माध्यम
डॉ. बबीता शर्मा ने अपने संगीत को समाजसेवा से जोड़ते हुए कई अहम पहल की हैं। इनमें गौ-सेवा, पक्षी संरक्षण, जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में मदद और महिला सशक्तिकरण जैसे कार्य शामिल हैं। साथ ही, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के तहत सवा लाख पौधे लगाने का संकल्प भी लिया है।
‘बागबान’ बना वरिष्ठ नागरिकों का प्रिय मंच
उनके द्वारा शुरू किया गया ‘बागबान’ कार्यक्रम नोएडा के वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्नेह और सम्मान का एक विशेष मंच बन गया है। इसके जरिए वह संगीत द्वारा बुजुर्गों के जीवन में नई ऊर्जा भरने का काम कर रही हैं।
डॉ. बबीता शर्मा का जीवन इस बात का प्रमाण है कि संगीत सिर्फ सुनने की चीज नहीं, बल्कि जीने की विद्या है। उनका काम करुणा, भक्ति और पर्यावरण के प्रति प्रेम का एक जीवंत संगम पेश करता है।
