नोएडा/ग्रेटर नोएडा। दिल्ली-एनसीआर (NCR) के लोगों के लिए दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और संतुलित फैसला सुनाया है। अदालत ने त्योहार के दौरान पर्यावरण की चिंता और लोगों की धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन बनाते हुए ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी है। हालाँकि, यह अनुमति सिर्फ 18 से 21 अक्टूबर, 2024 तक की सीमित अवधि के लिए ही वैध होगी।
क्या कहा कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें CJI बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन शामिल थे, ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण बनाए रखते हुए त्योहारों की परंपरा का सम्मान करना भी जरूरी है। कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि पारंपरिक पटाखों की तस्करी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जबकि पिछले छह सालों में ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से प्रदूषण के स्तर में कमी देखी गई है।
कहाँ और कब लागू होंगे ये नियम?
यह आदेश पूरे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद आदि) में लागू होगा। इस दौरान:
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बिक्री और जलाने की अनुमति: 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर, 2024 तक।
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केवल ग्रीन पटाखे ही वैध: केवल NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जा सकेंगे।
ग्रीन पटाखे क्यों हैं बेहतर?
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कम प्रदूषण: ये पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में 30% से 40% तक कम हानिकारक उत्सर्जन करते हैं।
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कम शोर: इनमें नॉइज पॉल्यूशन का स्तर भी कम होता है।
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सुरक्षित रसायन: इन्हें खतरनाक और प्रदूषण फैलाने वाले रसायनों के बिना बनाया जाता है।
सख्त निगरानी और QR कोड सिस्टम
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं कि ग्रीन पटाखों के नाम पर कोई धोखाधड़ी न हो।
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QR कोड अनिवार्य: हर ग्रीन पटाखे के पैकेट पर QR कोड होगा, जिसे एक ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर्ड करना जरूरी होगा। इससे असली और नकली पटाखों की पहचान आसान होगी।
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सख्त निगरानी: अधिकारियों की टीमें पारंपरिक पटाखों की तस्करी और अवैध बिक्री पर नजर रखेंगी।
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कानूनी कार्रवाई: ग्रीन पटाखों के नाम पर पारंपरिक पटाखे बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला NCR के निवासियों के लिए एक संतुलित और व्यावहारिक राहत लेकर आया है। इससे लोग दिवाली के त्योहार को ग्रीन पटाखों के साथ मना सकेंगे, लेकिन साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान भी रखा जा सकेगा। यह आदेश इस बात का संकेत है कि पूर्ण प्रतिबंध के बजाय एक नियमित और जिम्मेदार तरीका ही लंबे समय में कारगर साबित हो सकता है।
