बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रंगमंच गर्माया हुआ है। प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी (JSP) के चुनावी दांव से शुरू हुई सनसनी के बीच, एक और शक्ति चुनावी समीकरणों को हिला रही है – वह है ‘M फैक्टर’।
यह ‘M फैक्टर’ महिला मतदाता, मुस्लिम और यादव समुदाय का एक शक्तिशाली संयोजन है, जो अब सिर्फ वोट बैंक नहीं, बल्कि चुनाव का रुख तय करने वाली निर्णायक ताकत बनकर उभरा है।
प्रशांत किशोर का रणनीतिक दांव: राघोपुर से नहीं, पर राघोपुर के लिए
चुनावी अखाड़े में उतरने के बाद प्रशांत किशोर के राघोपुर से चुनाव लड़ने की अटकलें जोरों पर थीं। लेकिन एक आश्चर्यजनक मोड़ में, JSP ने 37 वर्षीय चंचल सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया। इस कदम ने सवाल खड़े किए हैं:
क्या JSP एक प्रभावी ‘तीसरा मोर्चा’ बन पाएगी?
क्या किशोर का जादू जमीनी स्तर पर काम करेगा, या सोशल मीडिया तक ही सीमित रहेगा?
हालांकि, किशोर ने 150 सीटों का लक्ष्य रखकर अपनी महत्वाकांक्षाओं का इशारा कर दिया है, जो सत्तारूढ़ दल के लक्ष्य के करीब है।
असली गेम चेंजर: बिहार की महिला मतदाता
इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू 3.5 करोड़ से अधिक महिला मतदाताओं की भूमिका है। पिछले कई चुनावों में उन्होंने नीतीश कुमार को मजबूत समर्थन दिया है, और इस बार दोनों ही गठबंधन उन्हें लुभाने में जुटे हैं:
नीतीश कुमार: ‘मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना’ के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण का वादा।
तेजस्वी यादव: गरीब परिवारों की महिलाओं को ₹2,500 मासिक भत्ते का लालच।
मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों ने साबित किया है कि महिला-केंद्रित योजनाएं चुनावी नतीजे बदल सकती हैं।
निर्णायक सवाल: महिला मतदाता का समर्थन किसके साथ?
14 नवंबर को नतीजे सामने आएंगे, लेकिन चुनाव की सबसे बड़ी लड़ाई जाति और धर्म से ऊपर उठकर ‘विकास बनाम सीधे आर्थिक लाभ’ के इर्द-गिर्द होगी। क्या महिलाएं नीतीश कुमार के विकास के मॉडल पर भरोसा करेंगी, या तेजस्वी यादव के नकद सहायता के वादे को तरजीह देंगी?
एक बात तय है: बिहार की सत्ता की चाबी इस बार ‘M फैक्टर’ के हाथ में है, और इसका सबसे बड़ा हिस्सा महिला मतदाताओं का है।
