उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक अद्भुत और उलझा देने वाला प्रशासनिक विवाद सामने आया है, जहाँ दो चीफ मेडिकल ऑफिसर्स (CMO) एक ही कुर्सी पर दावा ठोक रहे हैं। इस कुर्सी की जंग ने न केवल स्वास्थ्य विभाग के कामकाज को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि मामला अदालत तक पहुँच गया है, जिससे स्थिति और भी पेचीदा हो गई है।
कोर्ट के आदेश पर मची है रार: कौन है असली सीएमओ?
पूरे मामले की जड़ कोर्ट का एक आदेश है। एक तरफ डॉ. हरिदत्त नेमी का दावा है कि उन्हें हाईकोर्ट से स्टे मिला है, इसलिए उनका पदभार फिर से संभालना सही है।
वहीं, दूसरी तरफ डॉ. उदयनाथ अपना पक्ष रखते हैं कि वह नियमानुसार ही पदभार ग्रहण कर रहे हैं, क्योंकि कोर्ट का कोई स्पष्ट आदेश उनके विरुद्ध नहीं आया है।
इस अस्पष्टता ने ही दोनों अधिकारियों के बीच दाव-पेंच की स्थिति पैदा कर दी है।
पुलिस की तैनाती ने बढ़ाई गंभीरता
इस विवाद ने तब और गंभीर रूप ले लिया जब इस मामले में प्रशासन को पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी। एक प्रशासनिक विवाद में पुलिस का हस्तक्षेप इस बात का संकेत है कि स्थिति कितनी संवेदनशील और तनावपूर्ण हो गई थी।
सवाल: प्रशासन पर पड़ रहा है बुरा असल?
यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है: क्या इस तरह के अधिकारिक संघर्ष प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करते हैं और आम जनता की सेवाओं में बाधा डालते हैं? या फिर, ये विवाद व्यवस्था में छिपी कमियों को उजागर करके अंततः पारदर्शिता लाते हैं?
जब तक अदालत इस मामले में कोई स्पष्ट फैसला नहीं सुनाती, तब तक कानपुर के स्वास्थ्य विभाग में अस्थिरता बनी रहने की आशंका है।
