अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने भारत के रूसी तेल आयात को लेकर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप के दावे कि “भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा” के बाद जो बहस छिड़ी, उस पर भारत और रूस दोनों ने ही स्पष्ट और मजबूत जवाब दिया है।
भारत का स्पष्ट रुख: “हमारी नीतियां जनहित में”
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्री रणधीर जायसवाल ने इस मामले में भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, “भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को देश के जनहित में पूरा करने के लिए आयात नीतियाँ बनाता है।”
उन्होंने आगे जोर देकर कहा, “हमारा फोकस हमेशा भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना रहा है। हमारी आयात नीतियां इसी आधार पर निर्धारित की जाती हैं।”
रूस ने दिया साथ, कहा – “कोई रोक नहीं”
इस मामले पर रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने भी स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत रूस से कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खरीदता है और यह दोनों देशों के बीच लंबी अवधि का व्यापारिक सहयोग है।
उन्होंने साफ किया, “इस प्रक्रिया में कोई रोक नहीं लगाई गई है और भारत रूस से तेल आयात जारी रखेगा।”
राजनीतिक आग, कांग्रेस ने उठाए सवाल
इस पूरे मामले ने घरेलू राजनीति को भी गर्मा दिया है। अमेरिका के दावों पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप से इस मुद्दे पर संवाद किया, लेकिन देश को अभी तक आधिकारिक सूचना नहीं मिली।
राहुल गांधी और कांग्रेस ने भी पीएम मोदी पर सवाल उठाए और कहा कि यह देश के सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।
भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग जारी
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने अमेरिका के साथ संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पिछले दशक से भारत-यूएस ऊर्जा संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं और अमेरिकी सरकार ने इस दिशा में सहयोग की रुचि दिखाई है।
