उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि परिसर में एक ऐतिहासिक और भव्य ध्वजारोहण समारोह का आयोजन किया गया। राम मंदिर के 161 फुट ऊंचे शिखर पर 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा भगवा धर्म ध्वज फहराया गया, जो मंदिर निर्माण की प्रगति का एक सशक्त प्रतीक माना जा रहा है।
ध्वज की विशेषताएं और धार्मिक महत्व
यह भगवा ध्वज सनातन संस्कृति के पवित्र प्रतीकों से अलंकृत है। ध्वज पर सूर्य, ओम और कोविदार वृक्ष के चिन्ह अंकित हैं, जो वाल्मीकि रामायण से प्रेरित बताए जा रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष, गोविंद देव गिरि महाराज के अनुसार, इस ध्वज को मंदिर के शिखर पर स्थित 42 फुट ऊंचे विशेष खंभे पर फहराया गया है।
सुरक्षा और दीर्घकालिकता को ध्यान में रखते हुए इस खंभे को एक अभिन्न डिजाइन के साथ तैयार किया गया है, जो 360 डिग्री घूमने वाली बॉल-बेयरिंग पर आधारित है। यह डिजाइन ध्वज को 60 किमी/घंटा तक की तेज हवाओं और आंधी-तूफान का सामना करने में सक्षम बनाती है।
पाँच दिवसीय समारोह और धार्मिक अनुष्ठान
यह ध्वजारोहण एक विस्तृत पाँच दिवसीय समारोह के समापन का हिस्सा था। इसकी शुरुआत 21 नवंबर से हुई, जिसमें राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों और विद्वत आचार्यों ने मंदिर परिसर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना और हवन जैसे अनुष्ठान संपन्न कराए। समारोह के दौरान न केवल मुख्य राम मंदिर, बल्कि परिसर में स्थित भगवान शिव, गणेश, सूर्य, हनुमान, माता भगवती और माता अन्नपूर्णा के मंदिरों में भी विशेष पूजा का आयोजन किया गया।
एक ऐतिहासिक घटना का प्रतीक
राम मंदिर के शिखर पर यह भगवा ध्वज केवल एक धार्मिक कर्मकांड ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की विजय का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया है। इस समारोह ने अयोध्या में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दिया है, जो देश-विदेश में करोड़ों भक्तों के लिए अत्यंत महत्व रखता है। इस अवसर पर अयोध्या में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया
