हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी या हरिप्रबोधिनी एकादशी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की निद्रा के बाद जागते हैं। लेकिन इस बार का यह पर्व बेहद खास है क्योंकि यह एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग लेकर आया है।
दोगुना उत्सव, दोगुना आशीर्वाद
इस साल 1 नवंबर, 2025 को देवउठनी एकादशी के साथ ही लोकप्रिय और शक्तिशाली देवता बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन (जयंती) भी पड़ रहा है। इसका सीधा सा मतलब है कि भक्तों को एक ही दिन में भगवान विष्णु के जागरण और बाबा श्याम के जन्मोत्सव का दोहरा पुण्य और दोगुना आशीर्वाद मिलेगा। इस दुर्लभ संयोग के कारण राजस्थान के प्रसिद्ध खाटूधाम मंदिर में इस वर्ष भक्तों के जबरदस्त जुटान की उम्मीद है।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम?
मान्यता के अनुसार, बाबा श्याम महाभारत काल के वीर बर्बरीक का अवतार हैं। भगवान कृष्ण ने उन्हें ‘हारे का सहारा’ बनने का वरदान दिया था, यानी जो भी भक्त सच्चे मन से उन्हें पुकारेगा, बाबा उसकी लड़ाई में उसके साथ खड़े होंगे। यही कारण है कि उनके करोड़ों भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि हर संकट में बाबा श्याम उनकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं।
कैसे मनाएं यह अद्वितीय पावन दिन? (पूजन विधि)
इस दुर्लभ दिन का पूरा लाभ उठाने के लिए आप निम्नलिखित विधि से पूजन कर सकते हैं:
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भगवान विष्णु को जगाएं: सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले तुलसी के पौधे के पास एक दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु जागते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
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बाबा श्याम की पूजा: इसके बाद बाबा खाटू श्याम की प्रतिमा या चित्र के सामने पीले फूल, पीले चंदन और अक्षत अर्पित करें। पीला रंग बाबा श्याम को अत्यंत प्रिय है।
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मंत्र जाप: ‘श्याम’ नाम के इस पावन मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करें। इससे भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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भोग लगाएं: बाबा श्याम को मीठे भोग का विशेष महत्व है। आप उन्हें खीर, चूरमा, हलवा या कोई अन्य मीठा प्रसाद अर्पित कर सकते हैं।
इस पवित्र दिन पर व्रत रखना, धार्मिक कथाएं सुनना और दान-पुण्य करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है।
निष्कर्ष
1 नवंबर 2025 का दिन सभी भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय और ऐतिहासिक दिन होने जा रहा है। इस दुर्लभ संयोग में भगवान विष्णु और बाबा श्याम की कृपा पाने का यह सुनहरा अवसर हर किसी को मिलता नहीं है। आइए, इस पर्व को पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाएं और दोनों देवताओं का दोगुना आशीर्वाद प्राप्त करें।
