उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में भूमाफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि उन्होंने बुजुर्गों की बेशकीमती जमीन हथियाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का जाल बुनना शुरू कर दिया है। थाना सेक्टर-49 क्षेत्र में सलारपुर गांव में 80 वर्षीय एक बुजुर्ग की करीब 61 बीघा जमीन हड़पने का फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें 30 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
क्या है पूरा मामला?
मामला दादरी तहसील के गांव सलारपुर का है। गोरखपुर जिले के रहने वाले 80 वर्षीय पवन जिंदल ने थाना सेक्टर-49 में दर्ज अपनी शिकायत में बताया कि गांव में उनकी साझेदारी में करीब 61 बीघा जमीन है, जिसमें से लगभग 14 बीघा जमीन सीधे तौर पर उनके हिस्से की है। शेष जमीन के मालिक अशोक वाडिया और उनके परिवार के अन्य सदस्य हैं।
फर्जीवाड़े की कैसे हुई शुरुआत?
पीड़ित पवन जिंदल का आरोप है कि मुख्य आरोपी सुरेश कुमार गोयल ने उनकी जमीन हथियाने की साजिश रची। इस साजिश के तहत सबसे पहले गोरखपुर के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से एक फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी (मुख्त्यारनामा) तैयार कराया गया। इसके लिए पवन जिंदल के नाम पर एक नकली व्यक्ति को खड़ा किया गया।
कैसे हुआ जमीन का बैनामा?
फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर आरोपियों ने जमीन का म्यूटेशन (हस्तांतरण) कराया और दो दर्जन से अधिक लोगों के नाम से जमीन का फर्जी बैनामा (बिक्री पत्र) कर दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि यह सारा खेल पंजाब, दिल्ली, मेरठ और नोएडा में रहने वाले लोगों के फर्जी दस्तावेजों के जरिए किया गया।
30 आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर
इस मामले में पुलिस ने कुल 30 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनमें मुख्य रूप से सुरेश कुमार गोयल और डॉ. जगमोहन गोयल के नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि जगमोहन गोयल पर नोएडा में पहले से ही कई मामले दर्ज हैं और वह एक चर्चित भूमाफिया है।
एफआईआर में शामिल अन्य प्रमुख आरोपियों में मदन लाल, नरेश कुमार, केवल कृष्ण, सुभाष चंद, जयभगवान, नरेश उर्फ सलीम और राहुल कसाना आदि के नाम शामिल हैं। पीड़ित का आरोप है कि इन आरोपियों ने साजिश के तहत उनकी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया है।
अब आगे क्या?
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है। यह मामला एक बार फिर नोएडा और आसपास के इलाकों में सक्रिय भूमाफिया गिरोहों की बढ़ती हिमाकत को उजागर करता है, जो बुजुर्गों और कमजोर वर्गों को निशाना बना रहे हैं।
