बिहार विधानसभा चुनाव की गर्मी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुजफ्फरपुर दौरा चर्चा का केंद्र बना हुआ है। एक वीडियो, जिसमें पीएम मोदी ने मधुबनी प्रिंट वाले पारंपरिक गमछे को हवा में लहराया, सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है।
जानिए कैसे एक साधारण सा गमछा बन गया चुनावी रणनीति का केंद्रबिंदु।
वह वायरल पल
शुक्रवार को जैसे ही पीएम मोदी का हेलिकॉप्टर मुजफ्फरपुर में उतरा, हजारों समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। उमस भरे मौसम में प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए अपने कंधे पर रखे गमछे को भीड़ की ओर लहराया। करीब आधे मिनट तक चले इस इशारे ने तुरंत ही एक प्रतीकात्मक तस्वीर बना दी, जो अब इंटरनेट पर छाई हुई है।
यह कोई पहला मौका नहीं
यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने बिहार में गमछे को अपनी बातचीत का हिस्सा बनाया है। इससे पहले अगस्त में भी औंटा-सिमरिया पुल के उद्घाटन के बाद उन्होंने ठीक यही इशारा किया था। यह स्पष्ट रूप से एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगती है, जिसे बार-बार दोहराया जा रहा है।
गमछा सिर्फ कपड़ा नहीं, एक पहचान है
बिहार जैसे राज्य में गमछा सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि मेहनतकश बिहारी की पहचान है। यह किसान, मजदूर और आम आदमी की जिंदगी का अटूट हिस्सा है, जो पसीना पोंछने से लेकर सिर बांधने तक काम आता है। पीएम मोदी का यह प्रतीकात्मक इशारा सीधे तौर पर इसी वर्ग से जुड़ने का संदेश देता है।
‘जनता के आदमी’ की छवि को मिलती है मजबूती
मोदी की राजनीति हमेशा से प्रतीकों के जरिए संवाद करने की रही है – चाहे वह ‘चायवाला’ का परिचय हो या साधारण पोशाक। गमछा भी उसी कड़ी का हिस्सा है, जो “जनता के आदमी” की कहानी को आगे बढ़ाता है। यह संदेश बिहार के लिए खासतौर पर अहम है, जहां राज्य के 53% से अधिक मजदूर सीधे तौर पर कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं। यही वह तबका है जो चुनावी समीकरण बदलने की ताकत रखता है।
