
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को मची भगदड़ में 18 यात्रियों की मौत ने रेलवे प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण लोगों की जान चली गई। भीड़ बढ़ती गई, लेकिन उसे नियंत्रित करने या प्लेटफॉर्म पर आने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।
अपनी सुरक्षा को लेकर यात्री चिंतित
नई दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन पर अव्यवस्था की इस स्थिति ने यात्रियों को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित कर दिया है। पिछले कई दिनों से प्रयागराज जाने वालों की भीड़ लगी हुई है। कई स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। वीकेंड पर भीड़ बढ़ने की आशंका भी थी, लेकिन इसे संभालने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए।
डीआरएम ने नहीं दिखाई गंभीरता
इस बारे में न तो दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) सुखविंदर सिंह और न ही नई दिल्ली रेलवे निदेशक महेश यादव ने गंभीरता दिखाई। वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ने भी भीड़ प्रबंधन के लिए कोई कदम नहीं उठाए। इन अधिकारियों की लापरवाही के कारण स्टेशन पर अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बड़ी संख्या में यात्री बिना टिकट के प्लेटफॉर्म पर पहुंच गए थे। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। दावा किया जाता है कि बिना टिकट के किसी भी यात्री को नई दिल्ली और अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों में प्रवेश की अनुमति नहीं है। स्थिति रेलवे प्रशासन के इस दावे के बिल्कुल उलट थी।
प्रति घंटे 1500 जनरल टिकट बिके
बिना टिकट वाले यात्री न केवल प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, बल्कि मगध, शिव गंगा और अन्य ट्रेनों के आरक्षित कोचों में भी चढ़ गए। जनरल टिकट और वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों ने भी आरक्षित कोचों पर कब्जा कर लिया, जिससे वैध टिकट वाले यात्री प्लेटफॉर्म पर ही रह गए। प्रयागराज के लिए प्रति घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे जा रहे थे।
करीब नौ हजार जनरल टिकटों की बिक्री
बताया जा रहा है कि प्रयागराज जाने वाले यात्रियों ने करीब नौ हजार जनरल टिकट खरीदे। नियमित ट्रेनों में इतने यात्रियों के लिए जनरल कोच नहीं होते। इसके बावजूद न तो समय रहते पर्याप्त संख्या में स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की गई और न ही ट्रेन आने से पहले इन यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर जाने से रोकने के लिए कोई होल्डिंग एरिया बनाया गया।
रेलवे प्रशासन ने यहां गलती की!
गौरतलब है कि 18 यात्रियों की मौत के बाद प्रयागराज के लिए तीन स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं। अगर यह फैसला पहले लिया गया होता, तो शायद लोगों की जान नहीं जाती।
लोगों का कहना है कि शाम 4 बजे से ही स्टेशन पर भीड़ बढ़नी शुरू हो गई थी। इसके बाद भी न तो स्टेशन निदेशक और न ही वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ने इस बारे में कोई निर्णय लिया और न ही डीआरएम ने कोई आदेश जारी किया। रेलवे के सारे इंतजाम महज दिखावा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए एकीकृत सीसीटीवी निगरानी प्रणाली होने का दावा किया जाता है। स्टेशन पर भीड़ और इंतजामों पर डीआरएम कार्यालय से स्क्रीन पर नजर रखी जाती है। यह इंतजाम महज दिखावा साबित हुआ। स्टेशन पर सुरक्षाकर्मियों की कमी के साथ ही आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए भी पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। इससे भगदड़ में गंभीर रूप से घायल लोगों को अस्पताल ले जाने में दिक्कतें आईं।