
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सोमवार को कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के तहत दाखिले में अगर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो अभिभावक सीधे उनके पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
सूद ने कहा, “अगर अभिभावकों को सत्यापन प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की अनियमितता या पारदर्शिता की कमी का सामना करना पड़ता है, तो वे सीधे मेरे पास शिकायत दर्ज करा सकेंगे और अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए मेरे कार्यालय भी आ सकते हैं।” 44,045 लॉटरी से बच्चों के नाम निकाले गए।
आधिकारिक बयान के अनुसार, ईडब्ल्यूएस दाखिले के लिए दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया अभी भी जारी है। अब तक 5 मार्च को निकाले गए ड्रॉ के जरिए चुने गए 6,192 छात्रों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा चुका है। इसमें कहा गया है कि यह प्रक्रिया निर्धारित सत्यापन केंद्रों पर की जा रही है।
सूद ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में शिक्षा विभाग प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मिशन-संचालित तरीके से काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि दो लाख से अधिक आवेदनों में से कुल 44,045 बच्चों के नाम ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत नर्सरी, केजी और कक्षा एक में दाखिले के लिए कम्प्यूटरीकृत लॉटरी के माध्यम से निकाले गए।
शिक्षा मंत्री ने आगे क्या कहा?
अधिक जानकारी देते हुए बयान में कहा गया है कि 7 मार्च को कुल 2,431 अभिभावक निर्धारित केंद्रों पर गए, जिसमें 2,108 बच्चों के दस्तावेजों का सफलतापूर्वक सत्यापन किया गया।1,698 बच्चों को प्रवेश टोकन जारी किए, 410 अभिभावकों को अपने दस्तावेज पूरे करने का आदेश दिया।
8 मार्च को तीन जोन- सात, 14 और 22 में दस्तावेज सत्यापन हुआ, जिसमें 64 छात्रों ने सत्यापन कराया। सभी 64 छात्रों के दस्तावेजों का सफलतापूर्वक सत्यापन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 43 प्रवेश टोकन जारी किए गए, जबकि 21 छात्रों को अपने कागजी काम पूरे करने के लिए कहा गया।
इसी तरह 10 मार्च को 29 जोन में 3,354 अभिभावकों ने सत्यापन केंद्रों का दौरा किया। इनमें से 2,924 बच्चों के दस्तावेजों का सत्यापन किया गया और 2,303 बच्चों को प्रवेश टोकन जारी किए गए।
अधूरे दस्तावेजों के कारण 600 अभिभावकों को नोटिस जारी किए गए, जबकि विसंगतियों के कारण दो आवेदन खारिज कर दिए गए। सूद ने दोहराया कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी वंचित या योग्य बच्चा शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित न रहे।