
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया जिसके बाद भारत और पाकिस्तान ने 10 मई 2025 को शाम 5 बजे करीब दोनों देशों के बीच सहमति बनने के बाद सीजफायर हुआ। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो डर के माहौल में जी रहे हैं। सीजफायर के बाद इन इलाकों का नजारा भयावह है, यहां अभी भी मोर्टार बम और मिसाइलों के टुकड़े जमीन पर बिखरे हुए हैं। जिसके बाद से लोगो ने अपनी आप बीती बताई जिसमे लोगो ने बताया की यहाँ के लोग अभी भी अपनी रातें बंकर में बिताते हैं। अगर हमें अगली गोलाबारी से बचना है, तो हमें और अधिक बंकरों की जरूरत होगी। वहीं, नौशेरा में चुन्नी लाल उस भयावह दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि हमने 2021 के युद्धविराम समझौते के बाद से इस तरह की गोलाबारी नहीं देखी है। हम बस शांति चाहते हैं और अपने घरों को फिर से बनाने के लिए वित्तीय सहायता चाहते हैं।
सरकार देगी मुआवजा
बता दें कि मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने गोलाबारी प्रभावित गांवों का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने कहा कि राजौरी में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी सहित तीन लोग मारे गए, दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए। पिछले तीन दिनों में कई विस्थापित लोग वापस लौट आए हैं, लेकिन हजारों लोग राहत शिविरों में हैं। सेना, खेतों और गलियों में अभी भी दबे हुए जिंदा बमों को नष्ट करने के लिए नियंत्रित विस्फोट कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इन लोगों को मुआवजा और पुनर्वास में तेजी लाने के लिए काम कर रही है।